पक्षियों की दुनिया
पक्षियों की दुनिया
क्रम सं.
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पक्षी
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वर्णन
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1.
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कौवा
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इसका वैज्ञानिक नाम कोर्वस है और दुनिया में इसकी 40 प्रजातियाँ मिलती हैं। कौवा ऐसा पक्षी है, जो अंटार्टिका छोड़कर सभी जगह रहता है। इसका मस्तिष्क इंसान के मस्तिष्क के जैसा ही होता है। इसकी उम्र लगभग 14 साल होती है और याद्दाश्त बहुत अच्छी होती है। यह एक बार किसी चेहरे को देख लेता है तो कभी भूलता नहीं है। सबसे मजेदार बात कौवे अपनी सामान्य भाषा के अलावा एक दूसरी भाषा का भी इस्तेमाल करते है। जब उन्हे कोई खतरा महसूस होता है, तब वे इस दूसरी भाषा में आवाज लगाकर अन्य कौवों को सतर्क कर देते हैं।
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2.
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कबूतर
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इसका वैज्ञानिक नाम कोलुंबिदाए है। यह ऐसा पक्षी है, जो पूरे विश्व में पाया जाता है और इंसानों के संपर्क में रहना ज्यादा पसंद करता है। इसे अनाज, मेवा और दाल बहुत भाती है। भारत में कबूतर दो रंगों में मिलता है सफेद और सलेटी। कबूतर का पूरा शरीर परों से ढ़का रहता है। कबूतर 6000 फीट तक उड़ सकता है और एक दिन में 200 से 1000 किलोमीटर तक दूरी तय करके वापस आ सकता है। कबूतर कभी रास्ता नहीं भूलता। इसकी उम्र 15 से 20 साल के बीच होती हैं।
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3.
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गौरैया
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गौरैया की औसत लंबाई 16 सेंटीमीटर और वजन 24 से 40 ग्राम होता है। सबसे मजेदार बात यह है कि इसकी आंख के रेटिना में प्रति वर्ग मिलीमीटर 4 लाख फोटोरिसेप्टर होते हैं। गौरैया आम तौर पर 38 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से उड़ती है, लेकिन खतरे के समय 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकती है। इसमें तैरने की क्षमता भी होती है और यह पानी में अंदर ही अंदर तैरती है। इसका वैज्ञानिक नाम पासर डोमिस्टिकस है और यह चार से पांच साल तक जीवित रहती है। हर साल 20 मार्च को गौरैया दिवस मनाया जाता है।
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4.
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मोर
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मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है। यह बहुत अधिक ऊंचाई या लंबी दूरी तक उड़ नहीं सकता है। मोर झुंड में रहना पसंद करता है। यह सर्वभक्षक पक्षी है और मुख्य रूप से भारत, बर्मा तथा श्रीलंका में पाया जाता हैं। मोर 20 साल तक जीवित रह सकता है और इसका वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस हैं। इसकी खूबसूरत रंग-बिरंगी पूंछ में लगभग 150 पंख होते हैं। जन्म के समय मोर के बच्चों का वजन 103 ग्राम होता है, जो जन्म से ही चलने-फिरने लगते हैं। नर मोर जन्म के छह महीने तक मादा मोर की तरह होते हैं, उसके बाद उनमें बदलाव आना शुरू होता हैं।
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5.
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कोयल
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कोयल का वैज्ञानिक नाम यूडाइनेमिस स्कोलोपेकस है। अक्सर पेड़ों से आने वाली मधुर आवाज नर कोयल ही निकालता हैं। कोयल अंटार्टिका को छोड़कर दुनिया के सभी स्थानों पर पाई जाती है। अलग-अलग स्थानों पर इसकी विभिन्न प्रजातियां मिलती हैं। कोयल जमीन पर नाममात्र ही उतरती है, यह पेड़ो की टहनियों पर ही रहती है। इसका जीवन लगभग छह साल का होता हैं।
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स्त्रोतः अमर उजाला (देहरादून), 17 जुलाई 2020